किसी भी मौसम में खरीद लीजिये जनाब,
मोहब्बत के जख्म तरो-ताजा ही मिलेंगे।
पहले सा वो जुनून, वो मोहब्बत नहीं रही,कुछ-कुछ संभल गए हैं, उनकी दुआ से हम।
तेरे सामने जिन्दगी पड़ी है गुजारने के लिए,मैं तो लिख कर मिटाया हुआ एक नाम हूँ।
मुझे किस्मत से शिकवा तो नहीं लेकिन ऐ खुदा,वो ज़िन्दगी में क्यों आया जो किस्मत में नहीं था।
गुजरती बेक़रारी में न कम कर उम्र फिर सारी,कि हम भूले से कर बैठे मोहब्बत एक बेदिल से।
जिसके नसीब मे हों ज़माने की ठोकरें,उस बदनसीब से ना सहारों की बात कर।
वो तेरे खत तेरी तस्वीर और सूखे फूल,उदास करती हैं मुझ को निशानियाँ तेरी।
वह मेरा सब कुछ है पर मुक़द्दर नहीं,काश वो मेरा कुछ न होता पर मुक़द्दर होता।
देखी है बेरुखी की आज हम ने इन्तेहाँ,हमपे नजर पड़ी तो वो महफ़िल से उठ गए।
जब कभी फुर्सत मिले मेरे दिल का बोझ उतार दो,
मैं बहुत दिनों से उदास हूँ मुझे कोई शाम उधार दो।
मिजाज को बस तल्खियाँ ही रास आईं,हम ने कई बार मुस्कुरा कर देख लिया।